
मणिपुर, जो कभी पूर्वोत्तर भारत का शांत राज्य माना जाता था, आज फिर हिंसा, बलात्कार और पलायन की त्रासदी झेल रहा है। और इस बार आवाज़ उठाई है कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने, जिन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को जनसंवेदनहीन और असंवेदनशील करार दिया है।
🗣️ प्रियंका गांधी का तीखा हमला
“मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की चपेट में है। पिछले दो सालों से राज्य के लोग हत्या, बलात्कार, आगजनी और पलायन झेल रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री जी की चुप्पी बेहद शर्मनाक है। क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं?”

🔥 मणिपुर में क्या हो रहा है?
- कुकी और मेइतेई समुदायों के बीच एक बार फिर टकराव
- गांवों में आगजनी, लूटपाट और महिलाओं पर हमले
- सेना और पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद शांति बहाल नहीं
मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, मणिपुर में स्थिति ऐसी है जैसे "देश का ही एक हिस्सा सांप्रदायिक युद्ध क्षेत्र बन गया हो।"
🧠 राजनीति या संवेदनशीलता?
भले ही प्रियंका गांधी का बयान विपक्षी रणनीति का हिस्सा हो, लेकिन उनके सवाल आम जनता के दिल की बात बनते जा रहे हैं। क्या केंद्र सरकार ने मणिपुर को छोड़ दिया है? क्या महिलाओं की सुरक्षा केवल भाषणों तक सीमित है?

📢 निष्कर्ष
मणिपुर की आग अब केवल एक राज्य की समस्या नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक जवाबदेही की परीक्षा है। लोग विस्थापित हो रहे हैं, महिलाएं रो रही हैं, मासूम मारे जा रहे हैं — और दिल्ली अभी भी चुप है। अगर सरकार को वाकई सबका साथ, सबका विकास चाहिए — तो सबकी पीड़ा पर ध्यान देना जरूरी है।
🗣️ आपकी राय?
क्या प्रियंका गांधी का सवाल सही है?
क्या सरकार की चुप्पी मणिपुर को और जला रही है?
या विपक्ष इस संकट को सियासत के लिए इस्तेमाल कर रहा है?
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