
बिहार में राजनीतिक हलचल तेज़ है और अभी चुनावी तारीखें घोषित भी नहीं हुईं, लेकिन RJD नेता तेजस्वी यादव ने जो आरोप लगाया है, वह सिर्फ एक दल पर नहीं, पूरे भारतीय लोकतंत्र की साख पर हमला है।
“BJP को चुनाव की तारीख पहले ही क्यों पता चलती है? क्या चुनाव आयोग अब सरकार के इशारे पर काम करता है?”
📜 तेजस्वी यादव का सीधा हमला
राजधानी पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा, "संवैधानिक संस्थाएं अब हाईजैक हो चुकी हैं। चुनाव आयोग अब स्वतंत्र नहीं रहा। मोदी सरकार के इशारे पर BJP को चुनाव की तारीख पहले से बता दी जाती है ताकि वो पहले से तैयारी कर सके।"

🧾 क्या कहते हैं पुराने उदाहरण?
- 2020 बिहार चुनाव से पहले BJP की रणनीति पहले ही दिखने लगी थी
- 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने EVM और booth level transparency पर सवाल उठाए
- UP चुनाव में वोटिंग और counting की प्रक्रिया पर आपत्तियां आईं
⚖️ चुनाव आयोग की साख पर असर?
भारत का चुनाव आयोग हमेशा से निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया का प्रतीक रहा है, लेकिन लगातार उठते सवाल और विपक्ष के आरोप इस संस्थान की विश्वसनीयता पर गंभीर संकट बनते जा रहे हैं। इसे लेकर आयोग को अपनी पारदर्शिता और जवाबदेही को और मज़बूत करना होगा।

🎯 रणनीति या सच्चाई?
यह बयान RJD की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है — एक ऐसा नैरेटिव गढ़ना जिसमें पार्टी पीड़ित दिखे और जनता की सहानुभूति हासिल हो। लेकिन अगर इसमें सच्चाई है, तो यह भारत के लोकतंत्र के लिए चेतावनी की घंटी है।
📢 निष्कर्ष
बिहार चुनाव 2025 अब सिर्फ राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की साख और लोकतंत्र की पारदर्शिता का भी इम्तिहान है। BJP अपनी संगठनात्मक ताकत के बल पर आगे बढ़ रही है, तो विपक्ष न्याय और निष्पक्षता की मांग कर रहा है।
🗣️ आपकी राय क्या है?
क्या तेजस्वी यादव का आरोप सच है?
क्या चुनाव आयोग को अपनी कार्यप्रणाली जनता के सामने लानी चाहिए?
क्या लोकतंत्र धीरे-धीरे सत्ता का औजार बनता जा रहा है?
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