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📉 पाकिस्तान का कर्ज प्रधान देश बनने की कहानी

पाकिस्तान का कर्ज प्रधान देश: 1958 से आज तक का सफर

पाकिस्तान ने अपना पहला लोन 1958 में IMF से लिया था, और आज यह देश लगभग 76 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (करीब $269 बिलियन) के कर्ज‑बोझ तले दब चुका है — जिससे उसकी आर्थिक स्थिति संकटग्रस्त हो गई है।


📌 पहला लोन: 1958 में IMF बैलआउट

पाकिस्तान ने 8 दिसंबर 1958 को International Monetary Fund से अपना पहला बैलआउट लोन लिया था, इसी लोन‑संस्कृति की शुरुआत हुई :contentReference[oaicite:1]{index=1}:contentReference[oaicite:2]{index=2} <

💸 कर्ज का लगातार बढ़ता पहाड़

2025 के शुरू तक पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक कर्ज 76 ट्रिलियन PKR (लगभग ₹23.1 ट्रिलियन या $269 बिलियन) तक पहुंच गया है, जिसमें 51.5 ट्रिलियन घरेलू और 24.5 ट्रिलियन बाहरी कर्ज शामिल हैं :contentReference[oaicite:3]{index=3}।


📊 कर्ज/GDP अनुपात और आर्थिक संकेत

कुल कर्ज/GDP अनुपात लगभग 65–68% पर है; वित्त मंत्री औरंगजेब का दावा है कि 2024 में इसे 65% तक कम किया गया है, और विदेशी विनिमय भंडार थोड़ी मजबूती के संकेत दे रहा है :contentReference[oaicite:4]{index=4}।


🏦 कर्ज लेने की प्रमुख वजहें

पाकिस्तान को लगातार IMF, World Bank, चीन और Gulf देशों से कर्ज लेने की आवश्यकता पड़ी। इसका कारण है — व्यापार घाटा, ऊर्जा संकट, प्राकृतिक आपदाएँ (2022 में बाढ़), और CPEC प्रोजेक्ट्स से भारी आयात लागत :contentReference[oaicite:5]{index=5}।


🌐 चीन का बढ़ता कर्ज‑संबंध

China‑Pakistan Economic Corridor (CPEC) के तहत चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा द्विपक्षीय कर्जदाता बन चुका है, और पाकिस्तान का लगभग 30% बाहरी कर्ज चीन के पास है :contentReference[oaicite:6]{index=6}।


⚠️ कर्ज जाल की आशंका

“Debt‑trap diplomacy” का तर्क है कि IMF और विश्व बैंक जैसे संस्थागत कर्जदाता पाकिस्तान पर नीति नियंत्रण के लिए कर्ज का इस्तेमाल करते रहे हैं — जिससे यह देश निरंत­­र लो­­न­­ड­­े­­त­­ा नि­­बंध­­­­ा­­या­­त रह­­ा है :contentReference[oaicite:7]{index=7}।


📈 आज आर्थिक संकेत और सुधार की राह

IMF रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की GDP‑growth 2023 में –0.2% से 2024 में 2.5% पर पहुंची, और 2025 के लिए अनुमान 2.7% है। मुद्रास्फीति दर में गिरावट और मुद्रा भंडार में उछाल भी देखा गया है :contentReference[oaicite:8]{index=8}।


⚖️ क्या राहत मिल पाएगी?

सरकार IMF‑अनुकूल बजट सुधार, PSU निजीकरण (24 कंपनियाँ), और निर्यात व रेमिटेंस बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है, लेकिन लंबे समय तक कर्ज‑तमाम दबाव बना रहेगा :contentReference[oaicite:9]{index=9}।


⚠️ Disclaimer

यह ब्लॉग विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स, आर्थिक सर्वेक्षण और आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण प्रस्तुत करना है, किसी भी सरकार अथवा संस्थान को दोषी ठहराना नहीं। अंतिम सत्यांकन हेतु आधिकारिक स्रोतों की सलाह लें।

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